औरंगाबाद :प्रत्येक कैदियों को निःशुल्क विधिक सेवाऐं प्राप्त करने का हक,उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति टीम के सदस्यों द्वारा कारा में भ्रमण के दौरान तैयार किया गया डाटा

मगध एक्सप्रेस :- माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के आलोक में माननीय उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, पटना के वरिष्ठ अधिवक्ताओं की टीम के द्वारा औरंगाबाद जिला के जेलो का दौरा करते हुए विभिन्न विन्दुओं पर पर डाटा तैयार करते हुए उन्हें विधिक सहायता प्रदान किया गया है। इस टीम में राजेष कुमार-1 अमित कुमार झा, पियुश कुमार पाण्डेय, मुस्कान सिंह, राजेश कुमार जिन्हें माननीय उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति द्वारा नामांकित है, इस टीम में शामिल हैं।
टीम द्वारा ऐसे दोषी जिनकी दोषसिद्धि को उच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखा गया है, साथ ही ऐसे दोषी जिनकी दोषमुक्ति को उलट दिया गया है तथा उन्हें उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराया गया है एवं ऐसे दोषी जिनके आवेदन धारा 436ए सीआरपीसी जिसे भारतीय न्याय संहिता के तहत धारा 479 किया गया है उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिये गये हैं तथा ऐसे दोषी जिनकी छूट/शिघ्र रिहाई राज्य सजा समीक्षा बोर्ड तथा उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गयी है ऐसे मामलों को इस टीम द्वारा चिन्ह्ति किया गया है।
टीम द्वारा बताया गया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय का मत है कि कारा में ऐसे कैदी हो सकते हैं जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय में उचित अपील या याचिका दायर करने के लिए उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति से कानूनी सेवाऐं लेने के इच्छुक हैं, साथ ही कैदियों की सद्भावना और विष्वास हासिल करने के लिए विधिक सेवा संस्थानों जिसके तहत तालुका स्तर पर तालुका विधिक सेवा समिति, जिला स्तर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार, राज्य स्तर पर उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति तथा देश स्तर पर सर्वोच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति द्वारा प्रदान की जाने वाली विधिक सेवाऐं बहुत ही उच्च गुणवत्ता की हो कैदियों को प्रदान करने के लिए इस टीम का गठन किया गया है । टीम के प्रत्येक सदस्यों द्वारा जेल का भ्रमण करते हुए प्रत्येक वार्ड के कैदियों से पूछताछ करते हुए उन्हें प्रदान की जा रही विधिक सहायता एवं सेवाऐं की जानकारी प्राप्त किया गया ।
इस टीम के सदस्यों द्वारा सजायाफ्ता कैदियों से सम्पर्क करते हुए यह भरोसा दिया गया है कि आपके वाद में विधिक सहायता एवं सेवाऐं की आवष्यकता हो तो उसे जिला न्यायालय से माननीय सर्वोच्च न्यायालय तक निःशुल्क और गुणवत्तापूर्ण तथा प्रभावी विधिक सेवाऐं प्रदान की जायेगी साथ ही साथ कारा में संसीमित कैदियों को उनके अधिकार के बारे में भी टीम के सदस्यों द्वारा अवगत कराया गया।औरंगाबाद मण्डल कारा में 33 महिला बंदियों सहित वर्तमान में कुल 998 कैदी संसीमित है। और सभी कैदियों को विधिक सेवाऐं के बारे में जानकारी देते हुए कहा गया कि यदि आप अपने अधिवक्ताओं से संतुष्ट नहीं है तो उनसे अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त करते हुए जेल के माध्यम से निःशुल्क विधिक सेवाऐं के लिए आवेदन कर सकते हैं। टीम के सदस्यों द्वारा मण्डल कारा में भ्रमण के दौरान संतुष्टि व्यक्त करते हुए कहा गया कि औरंगाबाद जिला विधिक सेवाऐं देने में अव्वल है और आगे भी ऐसे मामलों को निरंतर चिन्ह्ति करने की आवष्यकता है।
इस टीम को सहयोग करने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार अन्तर्गत गठित कानूनी रक्षा परामर्शदाता प्रणाली में प्रतिनियुक्त मुख्य कानूनी बचाव अधिवक्ता श्री युगेश किशोर पाण्डेय, उपमुख्य कानूनी बचाव अधिवकता श्री अभिनन्दन कुमार, मुकेश कुमार तथा सहायक बचाव अधिवक्ता श्री रंधीर कुमार एवं चन्दन कुमार तथा पैनल अधिवक्ता सतीष कुमार स्नेही द्वारा टीम के सदस्यों को भरपुर सहयोग प्रदान किया गया। काराधीक्षक डा0 दीपक कुमार द्वारा मण्डल कारा के प्रत्येक वार्डो का भ्रमण टीम के सदस्यों को कराया गया जिसमें महिला वार्ड भी शामिल है। कैदियों से मिले सूचना के तहत टीम के सदस्यों द्वारा डाटा तैयार किया गया जिससे कि उनके मामलें को निःशुल्क विधिक सेवाऐं के लिए अग्रेसित करने की कार्रवाई की जायेगी। टीम के सदस्यों द्वारा मण्डल कारा, औरंगाबाद के भ्रमण के पश्चात् उपकारा दाउदनगर का भी भ्रमण किया गया तथा प्रत्येक कैदियों से सम्पर्क स्थापित करते हुए निःशु ल्क विधिक सेवाऐं के बारे में अवगत कराया गया। दाउदनगर उपकारा में 131 पुरूष एवं 04 महिला बंदी संसीमिति है जहां कोई सजायाफ्ता बंदी नहीं पाया गया ।