औरंगाबाद :नवरात्रि में माता उमंगेश्वरी दरबार मे भक्तों की उमड़ी भीड़, माता के जयकारा से गुंजयमान हुआ पर्वत

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संजीव कुमार –

मगध एक्सप्रेस :- नवरात्रि के पावन अवसर पर औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड के ऐतिहासिक उमंगेश्वरी दरबार मे श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।श्रद्धालु अहले सुबह से मंदिर मे जाकर माता उमंगेश्वरी की पूजा अर्चना किये और भक्ति मे लीन होकर माता उमंगेश्वरी की आरती उतारी।मंदिर के पुजारी विष्णु पाठक के द्वारा विधि विधान के तहत वैदिक मंत्रोंचारण के साथ पूजा अर्चना कराई गई।भक्तों के द्वारा माता के जयकारा से पुरा पर्वत गुंजयमान हो गया।ऐतिहासिक उमगा पर्वत के मुख्य पुजारी बालमुकुंद पाठक ने बताया कि, नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है।मां चंद्रघंटा के माथे पर अर्धचंद्र सजा हुआ है इसलिए इन्हे चंद्रघंटा कहा जाता है।इनके दस हाथों मे अस्त्र शस्त्र है और उनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है।

माता चंद्रघंटा की पूजा करने से ना सिर्फ भय से मुक्ति मिलती है बल्कि साहस और शक्ति मे आपार वृद्धि होती है।माता चंद्रघंटा के पूजा अर्चना के बाद माता की पांचवीं स्वरूप स्कन्द माता के रूप में की जाती है। उन्होंने कहा कि, नवदुर्गा के इस स्वरूप की उपासना से इंसान जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाता है।देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी माना जाता है।नवरात्रि मे ऐतिहासिक उमंगेश्वरी दरबार मे प्रत्येक वर्ष भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।माता के पूजन से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।माता उमगेश्वरी का दरबार भक्तो के जीवन में उमंग और खुशियां भर देती है ,ऐसे में भक्तो को चाहिए की शांतचित होकर पुरे नवरात्र में माता की आराधना करें ,तभी देवी के प्रशन्नता से ही सभी तरह के सुख प्राप्त होते है।

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