औरंगाबाद : उद्देश्यों से भटका भारत संकल्प यात्रा ,अधिकारी नहीं ले रहे सुध ,बिहार सरकार चाह नहीं रही है कि केंद्र सरकार का यह कार्यक्रम सफल हो-दिलीप सिंह [एमएलसी]

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मगध एक्सप्रेस :- विकसित भारत संकल्प यात्रा के जरिये भारत की सभी ग्राम पंचायत, नगर पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों को कवर किया जाना है. इस पहल की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, विकसित भारत संकल्प यात्रा के चार उद्देश्य हैं. पहला- उन वंचित  लोगों तक पहुंचना जो विभिन्न योजनाओं के तहत पात्र हैं लेकिन अभी तक लाभ नहीं उठाया है. दूसरा- योजनाओं के बारे में जानकारी का प्रसार और जागरूकता पैदा करना. तीसरा- सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के साथ उनकी व्यक्तिगत कहानियों और अनुभव साझा करने के माध्यम से बातचीत और चौथा- यात्रा के दौरान पता लगाए गए विवरण के माध्यम से संभावित लाभार्थियों का नामांकन करना है। यह अभियान भारत सरकार, राज्य सरकारों, केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की सक्रिय भागीदारी के साथ संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण अपनाकर चलाया जा रहा है.

केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत जागरूकता रथ औरंगाबाद जिले के कई प्रखंडों में पंचायत स्तर पर घूमघूमकर ग्रामीणों के बिच केंद्र प्रायोजित योजनाओ की जानकारी ग्रामीणों को पहुंचा रहा है।लेकिन इस कार्यक्रमों में जिला प्रशासन की अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से यह कार्यक्रम औरंगाबाद जिले में दम तोड़ता दिखाई दे रहा है। औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड स्थित पूर्वी केताकी के भटकूर तथा पश्चिमी केताकी के महंथ पंचानन उच्च विद्यालय के मैदान में कार्यक्रम आयोजित किये। तय कार्यक्रम के अनुसार भाजपा के विधान पार्षद दिलीप कुमार सिंह ,जिलाध्यक्ष भाजपा मुकेश शर्मा ,नगर परिषद् अध्यक्ष उदय गुप्ता ,भाजपा जिला उपाध्यक्ष सतीश कुमार सिंह ,प्रदेश कार्य समिति सदस्य अशोक कुमार सिंह ,नगर अध्यक्ष भाजपा औरंगाबाद पिंटू कुमार ,भाजपा जिला कोषाध्यक्ष आलोक कुमार सिंह सहित भाजपा के दर्जनों कार्यकर्ता इस कार्यक्रम में शामिल हुए। तय कार्यक्रम के अनुसार सैकड़ो की संख्या में नक्सल प्रभावित जंगली इलाको में रहने वाले ग्रामीण समय से अपनी अपनी समस्या को लेकर तो पहुंचे लेकिन उनके समस्या के समाधान करने वाले अधिकारी और कर्मी गायब रहे। बिजली ,पेयजल ,आपूर्ति ,मनरेगा ,सड़क ,आयुष्मान योजना ,सहित कई योजनाओ और विभाग से सम्बंधित अधिकारी और कर्मी गायब रहे। सरकारी कर्मियों में कृषि वैज्ञानिक अनूप कुमार चौबे सहित एक दो लोग ही उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के दौराम दर्जनों ग्रामीण महिला पुरुष ने आवास योजना ,पेंशन योजना ,बिजली बिल ,नल जल ,पानी की किल्लत ,राशन कार्ड बनवाने ,आयुष्मान योजना कार्ड बनवाने ,जॉब कार्ड बनवाने ,पेंशन योजना का लाभ लेने में आ रही समस्याओ को रखा ,लेकिन किसी अधिकारी और कर्मियों की उपस्थिति नहीं रहने के कारण समस्याओ का समाधान तो दूर कोई उचित सलाह देने वाला भी नहीं दिखा। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जांच शिविर लगाकार लोगो की स्वास्थ्य से सम्बंधित कई तरह के जांच करना था लेकिन व्यवस्था नहीं रहने के कारण कई तरह की दवाओं को लेकर बैठी महिला एएनएम नजर आई।

इस कार्यक्रम में अधिकारी और सरकारी कर्मियों की अनुपस्थिति पर भड़के विधान पार्षद ने दिलीप कुमार सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार गरीबो के लिए जितनी तरह की योजनाएं चला रही है उसको यथार्थ में देखने के लिए की कितने लोगो को लाभ मिल रहा है या वंचित रह गए उनको आगे कैसे लाभ दिया जाय ,ये मोदी जी की सोच पर आधारित कार्यक्रम है लेकिन यहाँ तो कार्य करना सरकारी पदाधिकारियों का काम है ,लेकिन इस तरह कार्यक्रम में और जनता की समस्याओ के समाधान में पदाघिकारी लोग को कोई रूचि नहीं है। जैसे हमारे जिले में आयुष्मान कार्ड के लिए 11 लाख का लक्ष्य था ,लेकिन अबतक दो सवा दो लाख लोगो को ही आयुष्मान कार्ड बना है। आज भी कैम्प में आपूर्ति ,आयुष्मान सहित कई विभागों के अधिकारी को सभी चीजें ऑन स्पॉट करना है लेकिन सभी गायब दिखे।

विधान पार्षद दिलीप सिंह ने आगे कहा कि बिहार सरकार चाह नहीं रही है कि केंद्र सरकार का यह कार्यक्रम सफल हो। जिले में जन संवाद कार्यक्रम चल रहा है सभी बड़े अधिकारी और कर्मी मौजूद है ,लेकिन यह केंद्र की योजना है और केंद्र सरकार का कार्यक्रम है इसलिए बिहार सरकार और उनके अधिकारी इस कार्यक्रम को असफल बनाने में लगे हुए है ,लेकिन बीजेपी कार्यकर्ता की मेहनत के बदौलत ही कार्यक्रम सफल हो रहा है और हम सभी ग्रामीणों को योजनाओ का लाभ लेने के लिए प्रेरित कर रहे है। वहीँ बीजेपी जिलाध्यक्ष मुकेश शर्मा ,जिला उपाध्यक्ष सतीश कुमार सिंह ,जिला कोषाध्यक्ष आलोक सिंह ने भी कहा कि करोडो रुपया खर्च कर केंद्र सरकार ग्रामीण इलाके में रहने वाले आम जनता तक पहुँच रही है लेकिन जिला प्रशासन और उनके अधिकारियों के असहयोग के कारण ग्रामीणों की समस्याओ का निदान नहीं हो रहा है।

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