औरंगाबाद : आद्रा नक्षत्र की अंतिम रविवार , देव में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ ,सुरक्षा के कड़े रहे इंतजाम
मगध एक्सप्रेस :-ऐतिहासिक ,पौराणिक एवं आस्था की दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण औरंगाबाद जिले के सूर्य मंदिर में आद्रा नक्षत्र के दूसरे रविवार के दिन देव सूर्य मंदिर में लगभग 2 लाख की संख्या में लोगों ने भगवान का पूजा अर्चना किया ।सुबह होते ही भगवान भास्कर की नगरी देव में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह से लेकर शाम तक मंदिर पूजा पाठ करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। भगवान भास्कर की जय, सूर्य भगवान की जय ,आदित्य नाथ की जय, जय घोष से पूरा देव भक्ति में हो गया। भगवान सूर्य की नगरी देव में आद्रा नक्षत्र में प्रत्येक वर्ष यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु कई राज्य से आते हैं और भगवान सूर्य के मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं और मन्नत मांगते हैं।
सूर्यकुंड और रूद्र कुंड तालाब में स्नान कर भगवान सूर्य के दंडवत देते हुए सूर्य मंदिर के अंदर गर्भ गृह में पहुंचकर पूजा अर्चना की । इसके बाद सूर्य मंदिर के परिक्रमा कर वापस लौटे। वही यहां भगवान सूर्य को दर्शन करने के लिए औरंगाबाद जिले के अलावा आसपास के कई जिले से लोग पहुंचे हुए थे, जैसे -गया, पटना, रोहतास, छपरा, जहानाबाद, झारखंड के पलामू, रांची, डालटेनगंज , हजारीबाग,हैदर नगर ,जपला ,आदि जगहों से लोग पहुंचे हुए थे। मंदिर में काफी श्रद्धालुओं की भीड़ होने के कारण लोगों को हलकी परेशानियां भी हुई।मंदिर के मुख्य पुजारी राजेश कुमार पाठक ने बताया कि आद्रा नक्षत्र आते हीं हर घर में खीर पुड़ी बनाया और खाया जाता है. इस दौरान लोग बड़े चाव से मिष्ठान भोजन का सेवन करते है. लोग ऋतु फल आम और जामुन के साथ आद्रा नक्षत्र का स्वागत करते हैं . हमारे देश की बहुत पुरानी परंपरा है. जिसमें आद्रा नक्षत्र के स्वागत के लिए भगवान इंद्र देव को याद करने के लिए हम खीर, पुड़ी, आम और जामुन का भोग लगाकर स्वागत करते हैं. आद्रा नक्षत्र से ही कृषि कार्य शुरू होता है. आद्रा नक्षत्र के वर्षा जल से जन और जानवरों के साथ प्रकृति खिलखिला उठती है.
मुख्य पुजारी राजेश पाठक ने आगे कहा कि भारत देश कृषि प्रधान देश है. इस देश के अधिकांश क्षेत्रों में कृषि कार्य का शुभारंभ आद्रा नक्षत्र से प्रारंभ होता है. इस नक्षत्र के पूर्व मृगडाह नक्षत्र एवं मृगडाह से पूर्व रोहन नक्षत्र रहता है. शास्त्रीय प्रमाण के अनुसार रोहन नक्षत्र में हल्की बारिश होनी चाहिए. जिससे गोखुर में कादो लगना अच्छी वृष्टि का शुभ संकेत होता है. इसके बाद मृगडाह नक्षत्र को तपना चाहिए. इस नक्षत्र में भीषण गर्मी पडऩे से आद्रा नक्षत्र के लिए काफी अच्छा माना जाता है. इसके बाद ही आद्रा नक्षत्र में सुवृष्टि का वर्णन अतीत काल से व्यवहारिकता में चला आ रहा है.वर्षा ऋतु के पूर्व प्रकृति में ग्रीष्म ऋतु विद्यमान रहता है. जिस ग्रीष्म ऋतु में दीरघ दाग निदाग अर्थात प्रचंड गर्मी से संपूर्ण प्रकृति जीव जंतु उलसी झुलसी रहती है. आद्रा नक्षत्र चढ़ते ही जब मुसलाधार वृष्टि होती है तो पूरी प्रकृति की ताप मिट जाती है. चहूं दिशी हरियाली छा जाती है. किसानों के चेहरे खिल उठते हैं. इसी खुशी के उपलक्ष्य में भारत देश में खीर, दाल, पूड़ी, आम, जामुन आदि विविध प्रकार के व्यंजनों के साथ इस नक्षत्र का स्वागत करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर देव थानाध्यक्ष मनोज कुमार पाण्डेय दल बल के साथ तैनात थे और पुरे मेला परिसर में भ्रमणशील रहे । देव के हर चौक ,चौराहो पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी ताकि किसी श्रद्धालु को समस्या का सामना ना करना पड़े। पुलिस बल मंदिर में लगी भीड़ को बाहर निकालने का प्रयास करते रहे।वहीँ मंदिर परिसर में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती रही। सूर्यकुंड तालाब से लेकर सूर्य मंदिर तक काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ थी। देव थाना मोड़ से लेकर मंदिर तक भीषण जाम लगा हुआ था जिससे लोगों को आने जाने में काफी दिक्कतें भी हुई। पुलिस के द्वारा देव चारो तरफ मुख्य मार्ग पर वाहन पार्किंग बनाए गए थे। औरंगाबाद के तरफ से आने वाले वाहन को रानी तालाब के ग्राउंड में लगाया जा रहा था। अंबा की ओर से आने वाली वाहन को कॉलोनी पर लगाया गया। वही देव के स्थानीय लोगों ने बताया कि देव में आद्रा नक्षत्र के मेला में हर वर्ष लाखों की संख्या में भीड़ होती है यहां पर लाखों भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं।