Aurangabad: वसुधारा नदी परिक्रमा का छत्तीसगढ़ सीएम के प्रतिनिधि ने किया वर्चुअल शुभारंभ,लट्टागढ़ से वधुसरा नदी मईया एवम महाराजा महर्षि च्यवन ऋषि की पूजा अर्चना से हुआ शुभारंभ
Magadh Express:औरंगाबाद जिले के वधूसरा नदी की परिक्रमा यात्रा का शुभारंभ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के खास प्रतिनिधि माननीय तुलसी कौशिक जी द्वारा वर्चुअल रूप से किया गया।विगत दिनों ग्राम लट्टागढ़ प्रखंड–रफीगंज, जिला-औरंगाबाद(मगध)से महाभारत कालीन वधुसरा नदी मईया की परिक्रमा यात्रा शुरू किया गया. परिक्रमा यात्रा का शुभारंभ भाईदूज के पावन अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के विशेष प्रतिनिधि माननीय तुलसी कौशिक जी द्वारा वर्चुअल रूप से किया गया।
यह पावन परिक्रमा यात्रा प्रसिद्ध इतिहासकर एवम पुरातत्वविद डॉ रामविजय शर्मा के नेतृत्व में लट्टागढ़ से वधुसरा नदी मईया एवम महाराजा महर्षि च्यवन ऋषि की पूजा अर्चना से शुरू की गई। इस अवसर पर राजपुरोहित श्री विष्णु पाठक ने वैदिक मंत्रोचार के साथ तथा यजमान डॉ रामविजय शर्मा द्वारा विधि विधान से पूजा अर्चना की गई तथा आरती की गई जिसमें लट्टागढ़ के स्त्री-पुरुष तथा वधुसरा सेवक बड़ी संख्या में शामिल हुए। वधुसरा नदी मईया के परिक्रमा यात्रा हर हर वधुसरा हर हर पुनपुना के जयकारा के साथ लट्टागढ़ से शुरू होकर यदुबीघा वधुसरा नदी के किनारे किनारे गया तथा वहा वधुसरा भक्तो ने वधुसरा नदी के पावन जल में तुलसी के पते को मिलाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया फिर परिक्रमा यात्रा छठ घाट गया एवम पूजा अर्चना कर बेरी होते हुए तेमुडा ग्राम पहुंचा.
तेमुडा में वधुसरा नदी की पूजा अर्चना की गई तथा जयकारा लगाया गया जिसमे तेमुडा गांव के भुईया समाज,मुसहर समाज,क्षत्रिय समाज तथा अन्य समाज के लोगो ने हिस्सा लिया इसके पश्चात् परिक्रमा यात्रा पौथू ग्राम में प्रवेश करते हुए बरपा ग्राम पहुंचा.वहा वधुसरा नदी मईया की पूजा अर्चना की गई जिसमें बरपा के नवयुगो ने हिस्सा लिया।इसके पश्चात् परिक्रमा यात्रा।बंबई कुटी के पास पहुंचा तथा वहा ठाकुर जी की पूजा अर्चना की गई मंदिर के पुजारी ने वहा की इतिहास तथा ठाकुर जी की कथा सुनाया जिसे वधुसरा सेवक एवम गांव के लोगो ने श्रवण किया इसके पश्चात् परिक्रमा यात्रा भृगुरारी गांव के पावन धरा पर प्रवेश किया भृगुरारी गांव महर्षि भृगु ऋषि की जन्मस्थली एवम निवास स्थान है ।
भृगुरारी में वधुसरा नदी और पुनपुन नदी का पावन संगम है वहा वधुसरा सेवको ने संगम में स्नान ध्यान किया तथा पूजा अर्चना किया मनोरंजन के लिए नौका विहार किया इसके पश्चात् वधुसरा प्रसाद के रूप मे चना और खेसारी के सत्तू तथा मूली एवम हरी मिर्च ग्रहण किया गया इसके पश्चात् महर्षि भृगु जी का आश्रम का दर्शन किया गया जो बहुत ऊंचे टीले पर है तथा माता का मंदिर का दर्शन तथा पूजा पाठ किया गया।भृगुरारी एक महाभारत कालीन गांव है जो भृगु जी का मूलस्थान है भृगुरारी से परिक्रमा यात्रा वापस उसी रास्ते से लौटते हुए लट्टागढ़ तक पहुंचा और एक बार फिर वधुसरा नदी मईया की पूजा अर्चना और आरती के साथ विश्राम हुआ मगध की किसी नदी का यह प्रथम परिक्रमा यात्रा है।
वधुसरा नदी के बारे में महाभारत तथा अन्य पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख है की एक बार महर्षि भृगु ऋषि पुनपुन में स्नान करने गए थे.इसी समय एक राक्षस आया और उनकी पत्नी पुलोमा माता का जबरदस्ती अपहरण कर लिया जिस प्रकार सीता माता का रावण ने अपहरण किया था माता पुलोमा रोती विलखती रही.राक्षस भृगुरारी से लट्टागढ़ तक ले आया लट्टागढ़ में माता पुलोमा के गर्भ से च्यवन ऋषि का जन्म हुआ.उनके ललाट से सूर्य के समान तेज निकल रहा था जिससे वह राक्षस भस्म हो गया. माता पुलोमा के आंखो से इतने तीव्र आसू निकलने लगी जो एक नदी का रूप धारण कर लिया जो वधुसरा नदी कहलाई तथा लट्टागढ़ से उसी रास्ता से होते हुए भृगुरारी पुनपुन संगम तक गई जिस रास्ते से राक्षस ने पुलोमा माता का अपहरण कर भृगुरारी से लट्टागढ़ तक लाया था ।
उसी समय ब्रह्मा जी अपने वधू पुलोमा का हाल चाल पूछने लट्टागढ़ पधारे तथा उन्हें सांत्वना दी एवम पुलोमा माता को दोष रहित एवम पाप रहित घोषित किया ब्रह्मा जी ने ही इस नदी का नामकरण वधुसरा नदी किया था।ब्रह्मा जी के लट्टागढ़ में पधारने की घटना की स्मृति में गांव वालो ने उसी समय पूर्व एवम पश्चिम दिशा में ब्रह्मा जी के मंदिर के स्थापना किए जो आज भी विद्यमान है.इस पावन परिक्रमा यात्रा में डॉ रामविजय शर्मा के साथ साथ ओमप्रकाश शर्मा,सुमन शर्मा,पुष्पक शर्मा,टाइगर शर्मा,कबीर दा, दारा शर्मा,भोली शर्मा,गोलू शर्मा तथा लट्टागढ़, तेमुडा, पौथु बाजार,बरपा,भृगुरारी के वधुसरा सेवक बड़ी संख्या में शामिल हुए तथा पुण्य लाभ अर्जित किए ।