औरंगाबाद : (देव)निःसंतान दंपतियो के लिए वरदान है पातालगंगा का त्रिकोण तालाब,कार्तिक पूर्णिमा को लगता है यहां मेला

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Magadh Express:-औरंगाबाद जिले में स्थित देव सूर्यस्थल से मात्र 1 किमी. दूर पाताल गंगा तीर्थ है। यहां कार्तिक पूर्णिमा को भारी मेला लगता है। यहां सुदूर क्षेत्र से भक्तजन अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। यहां बांझपन के शिकार दम्पति संतान प्राप्ति की उम्मीद लेकर जरूर पहुंचते हैं।

यहां गर्भाशय की तरह बने और वास्तु शास्त्र के मुताबिक निर्मित पातालगंगा का त्रिकोण सरोवर निःसंतान दम्पतियों के लिए मनमुराद साबित होता है। वैवाहिक जीवन के बाद भी निःसंतान रहने वाले दंपतियों को इस सरोवर में स्नान करने मात्र से उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। निसंतान दंपति इस सरोवर में स्नान कर अपने स्नान किए हुए वस्त्र को सरोवर में छोड़ देते हैं। माना जाता है कि उन्हें 1 वर्ष के भीतर संतान की प्राप्ति हो जाती है। कुछ लोग इस तालाब को बांझन सरोवर के नाम से भी पुकारते हैं। इस तालाब में बांझन महिलाएं एवं पुरुष ही स्नान करते हैं। बाकी यहां आनेवाले लोग चतुर्भुज सरोवर में स्नान करते हैं।


कहा जाता है कि आज से लगभग 115 वर्ष पूर्व ज्ञानीनन्‍द जी नामक एक महात्‍मा देव सूर्य मंदिर में दर्शन हेतु आये और निकट के बम्‍हौरी पहाड के पास कुटिया बनाकर रहने लगे। उनके आशीर्वाद मात्र् से लोगों का कल्‍याण होने लगाा। बाद में उनके भक्‍तों ने शिवमंदिर, राधाक़ष्‍ण मंदिर तथा हनुमान मंदिर बनवा दिये।कुछ लोगों का कहना था कि बाबा आपको गंगा नदी के किनारे रहना चाहिए था। यह सुनकर बाबा बोले कि यदि तुमलोगों की यही इच्‍छा है तो गंगा यहीं आवेगी और ऐसा कहकर उन्होंने धरती में चिमटा धंसाया और पाताल से गंगा का जल निकलने लगाा। उसी दिन से इस स्‍थान का नाम पाताल गंगा पड गया। उसी स्‍थान पर तालाब का निर्माण किया गया है।

इस तालाब में स्‍नान करने से गंगा स्‍नान का लाभ प्राप्‍त होता हैा आज भी साधु, ब्राम्‍हण तथा ऋषियों का यहॉ आदर होता हैा ब्रम्‍हचारी संस्‍क़त विधालय की स्‍थापना की गई है,जो अब इतिहास में ही सिर्फ सुनने के लिए मिलता है। देव मंदिर में दर्शन करने वाले भक्‍त गण पाताल गंगा में भी जाकर स्‍नान एवं दर्शन करते हैं। यहां कार्तिक पूर्णिमा को स्न्नान करना फलदाई माना जाता है।वहीं निःसंतान दंपति त्रिकोण तालाब में आज कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान कर एक वर्ष के अंदर संतान प्राप्त करते है ।

मान्‍यता है की इस तालाब में स्‍नान करने से गंगा स्‍नान का लाभ प्राप्‍त होता है। हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को यहां विशाल मेला लगता है। स्‍नान कर श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करते हैं। कहा जाता है कि यहां के तालाब का पानी कभी भी न सूखता है । बाद में महात्मा ने यहां ब्रह्मचारी संस्कृति विद्यालय की स्‍थापना की। हालांकि अब विद्यालय बंद हो गया है। भवन भी ध्वस्त हो गया है। महात्मा ने यहां बड़ा गोशाला बनाया था। वह भी इतिहास का हिस्‍सा हो चुका है। कहा जाता है कि महात्‍मा जी के समय में देश के कई हिस्‍सों के श्रद्धालु यहां आते थे। मठ के पास आज भी करोड़ों की सैकड़ों बीघा जमीन है। लेकिन मठ का समुचित विकास नहीं हो पा रहा। पूर्व मुखिया योगेंद्र यादव के सहयोग से पातालगंगा में दोनो तलाबो का जीर्णोधार किया गया है और वहां भगवान की पूजा अर्चना को लेकर पार्क का निर्माण भी किया गया है ।हालांकि तमाम व्यवस्थाओं के बीच पातालगंगा मठ का आज तक समुचित विकास नही हो।पाया है जिसका जिम्मेवार सीधे तौर पर बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड है ।

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