औरंगाबाद :माता कुंती ने भगवान श्री कृष्ण से मांगा दुःख –कथावाचक [अनिल शास्त्री]

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संदीप कुमार

मगध एक्सप्रेस :-औरंगाबाद जिले के नवीनगर स्थित मारवाड़ी धर्मशाला में श्री गो गीता गायत्री सत्संग सेवा समिति के तत्वावधान में चल रहे संगीतमय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के छठे दिन भागवत प्रवक्ता कथावाचक अनिल शास्त्री ने कहा कि महाभारत का युद्ध खत्म हो गया था। युधिष्ठिर हस्तिनापुर की राजगद्दी संभाल लिए थे। धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो रहा था। एक दिन वो घड़ी भी आई जो कोई पांडव नहीं चाहते थे।भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका लौट रहे थे। सारे पांडव दु:खी थे। श्री कृष्ण को पांडव अपने शरीर का हिस्सा मानते थे, जिसके अलग होने के भाव से ही वे कांप जाते थे। लेकिन श्रीकृष्ण को तो जाना ही था। कोई भी श्रीकृष्ण को जाने नहीं देना चाहता था। भगवान श्री कृष्ण भी एक-एक कर अपने सभी स्नेहीजनों से मिल रहे थे। सबसे मिलकर भगवान श्री कृष्ण ने सभी को कुछ ना कुछ उपहार देकर द्वारका की तरफ प्रस्थान करने लगे।

कथावाचक अनिल शास्त्री ने कहा कि अंत में भगवान श्री कृष्ण पांडवों की माता और अपनी बुआ कुंती से मिले। भगवान श्री कृष्ण ने कुंती से कहा कि बुआ आपने आज तक अपने लिए मुझसे कुछ नहीं मांगा।आज कुछ मांग लीजिए। मैं आपको कुछ देना चाहता हूं। कुंती की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने रोते हुए कहा कि हे श्रीकृष्ण अगर कुछ देना ही चाहते हो तो मुझे दु:ख दे दो। मैं बहुत सारा दु:ख चाहती हूं। श्रीकृष्ण आश्चर्य में पड़ गए। श्रीकृष्ण ने पूछा कि ऐसा क्यों बुआ, तुम्हें दु:ख ही क्यों चाहिए। कुंती ने जवाब दिया कि जब जीवन में दु:ख रहता है तो तुम्हारा स्मरण भी रहता है। हर घड़ी तुम याद आते हो। सुख में तो यदा-कदा ही तुम्हारी याद आयेगी।अतः मुझे दुख ही चाहिए ताकि मैं तुम्हें हमेशा याद कर सकूं। इस अवसर पर पूर्व चेयरमैन अजय कुमार सिन्हा, वरुण कुमार सिंह ङेहरी, कैलाश प्रशाद कारीवाल, पार्वती कारीवाल, पूर्व चेयरमैन राधा सिंह, त्रिपुरारी सिंह, सत्येंद्र सिंह , संजय सोनी, राज कुमार, खुशबु, मदन गुप्ता, सुशील बेरलीया, मुनी चंद बेरलीया, सुशील बंसल, वरुण सिंह, छोटु पाठक,प्रदीप सिंह, सूनील बॉस, गुड्डू तिवारी, कमला देवी, चित्रा देवी सहित बड़ी संख्या मे पुरुष एवं महिला श्रद्धालु उपस्थित रहें।

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