औरंगाबाद :[देव सूर्य महायज्ञ]जिस प्रकार बिल में पानी भरने पर सर्प निकल कर भाग जाता है उसी प्रकार हृदय में कथा रस का प्रवेश होते ही सब बुराइयां मिट जाती हैं- सीताराम शरण जी महाराज
मगध एक्सप्रेस :-औरंगाबाद जिले के ऐतिहासिक सौर तीर्थ स्थल देव में भगवान्रा श्री सूर्य नारायण महायज्ञ में दूसरे दिन चित्रकूट धाम से पधारें श्री सीताराम शरण जी महाराज ने व्यास गद्द्दी से कहा कि कथा श्रवण से पाप नष्ट होते है, हृदय में कथा प्रवेश करते ही पाप जड़ से ही समाप्त हो जाते है। पापों की ओर उसे सत्य परमात्मा की प्राप्ति होती है और तत्काल उसे फल मिलता है। कथा व्यास ने बताया कि सती द्वारा जब राम कथा सुनने की इक्छा जाहिर की भगवान शंकर माता सती को राम कथा सुना रहे थे, तभी आकाश मार्ग से कई देवता जा रहे थे।सती के पूछने पर भगवान शंकर ने बताया कि दक्ष प्रजापति ने घमंडवश ब्रह्मा, विष्णु व महेश का अपमान करने के लिए अपने घर महायज्ञ का आयोजन किया था। इसमें तीनों देवताओं को नहीं बुलाया गया। सती ने जब वहां जाने की इच्छा जताई तो भगवान शंकर ने बिना बुलाए जाने पर कष्ट का भागी बनने की बात कही। इसके बाद भी सती नहीं मानी और पिता के घर चली गई।
यज्ञ में भगवान शंकर, विष्णु व ब्रह्मा का अपमान देखकर हवन कुंड में कूदकर खुद को अग्नि के समर्पित कर दिया। इसके बाद भगवान शंकर के दूतों ने यज्ञ स्थल को तहस-नहस कर दिया। भगवान शंकर भी शोकाकुल होकर समाधि में लीन हो गए।कथा व्यास श्री सीताराम शरण जी महाराज ने आगे कथा में श्रोताओं को बताया कि कथा सुनकर बहुत लोगों ने व्यसन छोड़ दिए, बुराइयां मिट गई। संसार के कार्य से फल बहुत दिनों में मिलता है। परन्तु कथा से तुरंत मिलता है। राम कथा ऐसा रस सिधू है, जिसने डुबकी लगाई वह हमेशा को निर्मल हो जाता है। हमारे कानों के द्वारा ये रस हमारे हृदय में प्रवेश करता है। इस कथा रस के हृदय में जाते ही सारी बुराइयां समाप्त हो जाती हैं। जिस प्रकार बिल में पानी भरने पर सर्प निकल कर भाग जाता है उसी प्रकार हृदय में कथा रस का प्रवेश होते ही सब बुराइयां मिट जाती हैं।कथा के दौरान महाराज ने भजनो और कथाओ के माध्यम से कथा पंडाल में मौजूद सैकड़ो महिलाओ पुरुष श्रद्धालुओं को घंटो तक मंत्रमुग्ध कर दिया।