बिहार :माननीय उच्च न्यायालय के आदेश आने के बाद थम गया चुनावी प्रचार प्रसार, राज्य निर्वाचन आयोग के अगले आदेश पर निगाहें टिकी

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Magadh Express :- प्रथम चरण के चुनाव को लेकर 10 अक्टूबर को मतदान होना है ।ऐसे में आज मतदान के छह दिन पूर्व महानवमी पर्व पर जहां लोग दशहरा की तैयारी और महानवमि की पूजा में व्यस्त थे वहीं प्रत्याशियों द्वारा किए जा रहे धुआधार प्रचार के बीच माननीय उच्च न्यायालय के फैसले आने के बाद प्रत्याशियों में तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है ।कई प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार को रोक दिया है ,तथा अब प्रत्याशियों सहित मतदाताओं की निगाहें चुनाव आयोग के निर्देश पर टिकी है । लोगो में यह संशय बरकरार है कि अब उन्हीं जगहों पर चुनाव होगा निरस्त होगा जहां सीटें आरक्षित की गई या उन सभी जगहों का भी निरस्त होगा जहां मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद की सीटें आरक्षित नही है ।धुआंधार खर्च कर रहे प्रत्याशियों का तो और बुरा हाल है ,मतदाता खुद भी चर्चा कर रहे है कि कहीं प्रत्याशियों को पानी न चढ़ाना पड़ जाय ।


जानकारी के अनुसार पटना हाईकोर्ट ने कहा है कि जब तक बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया को पूरा नहीं कर लेती तब तक अति पिछडों के लिए आरक्षित सीट सामान्य माने जाएंगे. राज्य निर्वाचन आयोग अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य घोषित कर चुनावी प्रक्रिया को फिर से शुरू कर सकता है. लेकिन अति पिछ़ड़ों को आरक्षण देने से पहले हर हाल मे ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करनी होगी.

हाईकोर्ट ने कहा है राज्य निर्वाचन आयोग या तो अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य करार देकर चुनावी प्रक्रिया आगे बढ़ाये या फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ट्रिपल टेस्ट करा कर नये सिरे से आरक्षण का प्रावधान करे. होईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग के रवैये पर गहरी नाराजगी जतायी है. कोर्ट ने कहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी संवैधानिक जिम्मेवारी पूरी नहीं की. निर्वाचन आयोग हर बात के लिए राज्य सरकार पर निर्भर रहा. हाईकोर्ट ने पिछली तारीख पर ही कहा था कि निर्वाचन आयोग चुनाव के डेट को आगे बढ़ा सकता है लेकिन आयोग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.

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