औरंगाबाद :जीवन में उतरे, तभी ज्ञान की सार्थकता – जीयर स्वामी
संदीप कुमार
मगध एक्सप्रेस :-औरंगाबाद जिले के नवीनगर प्रखंड के पिपरा ग्राम पंचायत के लेम्बोखाप गांव मे चल रहे ज्ञान यज्ञ को संबोधित करते श्री त्रिदण्डि स्वामी जी महाराज के शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि ज्ञान का महत्व तभी है, जब यह जीवन में आत्मसात किया जाए। यदि हम ज्ञान प्राप्त कर प्रवचन सुनते या अध्ययन करते हैं। लेकिन, इसका जीवन में उपयोग नहीं करते हैं, तो इसका कोई फायदा नहीं होता है।
उन्होंने कहा कि उपदेश सुनने तथा ज्ञान प्राप्त करने की सार्थकता तभी है जब उसे जीवन में उतारा जाए।हम रोज माता-पिता की सेवा का प्रवचन सुनते हैं, लेकिन, अगर इसे मानते नहीं हैं, न ही आदर-सम्मान देते हैं तो प्रवचन सुनना निरर्थक हो जाता है। जीवन जीना अलग बात है लेकिन, मर्यादित रूप से संयमित जीवन जीना और बात है। स्वाजी जी ने कहा कि सफाई और स्वच्छता भी एक पूजा है। ईश्वर द्वारा जो मिला हुआ है, उसमें व्यक्ति को संतोष करना चाहिए। ज्यादा विलासितापूर्ण जीवन जीना उचित नहीं है।
जिस घर में भागवतगीता का पाठ होता है, उस घर में लक्ष्मी का वास होता है। जिस घर में साधु-संतों को सम्मान नहीं मिलता, वह घर वीरान हो जाता है। जीयर स्वामी ने भक्तों को यह भी बताया कि भगवान विषम परिस्थितियों में भक्त की परीक्षा लेते हैं, ऐसे में उसे मर्यादित जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नर सेवा नारायण सेवा है मानव जीवन में भक्ति होना चाहिए तभी जीवन सफल हो सकता है ।कथा सुनकर जीवन में उतारना चाहिए तभी कथा की सार्थकता है। स्वामी जी ने कहा कि कर्म और कर्म का फल ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए इसकी चिंता हमें नहीं करनी चाहिए । आदमी में आदमियता होनी चाहिए आदमी में संस्कार होना जरूरी है तभी जीवन में शांति मिलती है। भक्ति करने के लिए भक्त होना पड़ता है।
शास्त्र में कहा गया है कि व्रत करने के लिए नियम और संयम तथा पारण जरूरी है।धर्म के अनुसार योनि प्राप्त होता है। भगवान ने मानव की संरचना में पूरी ताकत लगा दी है तभी मनुष्य परिपूर्ण है। कथा प्रवचन के दौरान यज्ञ समिति संयोजक श्याम बिहारी सिंह ,अध्यक्ष अनिल कुमार सिंह उर्फ पिंटू, कोषाध्यक्ष विजय सिंह, प्रोफेसर सुनील बॉस, सोनू कुमार सोनी, धनंजय सिंह ,पंकज कुमार सिंह, संतन सिंह ,विजय सिंह ,ओम प्रकाश अग्रवाल, विनोद दास राजेश सिंह सहित आसपास के गांवों के ग्रामीण काफी संख्या में उपस्थित थे।