औरंगाबाद: देव चैती छठ मेला में महाभंडारा का आयोजन, शक्ति मिश्रा फाउंडेशन एक लाख श्रद्धालुओं को कराएगा शुद्ध सात्विक भोजन

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Magadh Express:-एतिहासिक ,पौराणिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण औरंगाबाद जिले के सूर्य नगरी देव में लगने वाले चार दिवसीय चैती छठ मेला को लेकर शक्ति मिश्रा फाउंडेशन ने बड़ी पहल की गई । शक्ति मिश्रा इस वर्ष 25 मार्च से 28 मार्च तक लगने वाले चैती छठ मेला के दौरान देव आने वाले सभी श्रद्धालु भक्तो के लिए निःशुल्क भंडारा का आयोजन किया गया है ।यह आयोजन शक्ति मिश्रा फाउंडेशन के तत्वाधान में शिव श्रृंगार समिति द्वारा आयोजित किया जाएगा ।भंडारा पुरानी थाना मोड़ के पास स्थित शिवालय के सामने होगा ।


इस बाबत बात करते हुए शक्ति मिश्रा फाउंडेशन के लब्ध प्रतिष्ठित युवा समाजसेवी शक्ति मिश्रा कहा कि यह भंडारा छठ मेला के दौरान आयोजित होगा ,लगभग एक लाख लोगो को भंडारा में भोजन की व्यवस्था की गई ।शुद्ध सात्विक शाकाहारी भोजन श्रद्धालु ,व्रतियों एवं को ज्यादा से ज्यादा उपलब्ध हो इसपर कार्य किया जा रहा है ।शक्ति मिश्रा ने कहा कि देव जैसे एतिहासिक ,स्थल पर शुद्ध सात्विक बेहतर भोजन के लिए कोई होटल,भंडारा इत्यादि की व्यवस्था नहीं होती है ।ऐसे में शक्ति मिश्रा फाउंडेशन इस वर्ष देव आने वाले सभी श्रद्धालु और दर्शनार्थियों को भंडारा के माध्यम से निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराएगा ।

युवा समाजसेवी शक्ति मिश्रा ने कहा कि तुलसीदासजी ने लिखा है

“बड़े भाग मानुष तन पावा।”
यह मानव कोई साधारण मानव नहीं है। वह “हिमगिरि से उन्नत मानव, सागर से गहन गंभीर।”

मनुष्य के लिए इतनी प्रशंसा क्यों ? क्योंकि मानव ही दान दे सकता है। देवता भला क्या दान देगें। वे तो स्वयं मानव से दान माँगने आते हैं। इन्द्र ने विष्णु के कहने पर दधीचि से अस्थि-दान माँगा था और लिया भी। इस तरह मनुष्य के महान कार्यो में दान एक है। यह दान कभी नष्ट नहीं होता। तभी तो कहा है- “दानेन तुल्यो विधिरस्ति नान्यो।”अर्थात-दान के समान विधि या श्रेष्ठ वस्तु और कोई नहीं है और कुछ भी नहीं है।
दान, धन दान, प्राण दान, क्षमा दान, अभयदान आदि। आधुनिक युग में तो और भी कईदानों के नाम जुड गये हैं-जैसे-जीवन दान, भूमि-दान, समय दान, श्रम दान, रक्त दान, नेत्र दान आदि। ये तो सब नये अभियान (प्रयत्न) हैं जो चलाये जाते हैं। दानों में अन्न दान का बड़ा महत्व है- “अनदान अढ़ रस बीयूषा।” पद्म पुराण में अभय को स्वर्वोच्च दान कहा है।

_“किन्तु सच्चा दान दो प्रकार का होता है। एक वह जो श्रद्धा से दिया जाता है। दूसरा वह जो दया से दिया जाता है।” पंडितों और विद्धानों को जो दान दिया जाता है, वह श्रद्धावश दान है। अंधों, लूलों और लंगड़ों को जो दान दिया जाता है, वह दयावश दिया जाता है। श्रद्धावश दिया जानेवाला दान ही महत्व पूर्ण दान है। श्रद्धावश दिया दान ही सफल माना जाता है। अश्रद्धा से दिया दान निष्फल माना जाता है।शक्ति मिश्रा ने स्थानीय लोगो से अपील की है कि इस भंडारा में शामिल होकर श्रद्धालुओं और व्रतियों की सेवा किया जाय ताकि देव सूर्य नगरी का नाम राज्य और देश के कोने कोने तक फैल सके ।शक्ति मिश्रा ने कहा कि यह मात्र एक सेवा करने का छोटा सा प्रयास है ,जो सदैव रहेगा ।
शक्ति मिश्रा फाउंडेशन और शिव श्रृंगार समिति द्वारा आयोजित इस कार्य के लिए प्रशंसा हो रही है ।

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