राष्ट्रीय:प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, एनईपी-2020 विश्व में भारत की उन्नति के अनुरूप है-राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह
Magadh Express:-केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, एनईपी-2020 विश्व में भारत की उन्नति के अनुरूप है।
माननीय मंत्री ने कहा कि एनईपी-2020 भारत में स्टार्ट-अप इकोसिस्टम का पूरक है, जो छात्रों और युवाओं के लिए जीविका और उद्यमिता के नए अवसर प्रदान करने का वादा करती है।नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में “सेलिब्रेटिंग यूनिटी” शीर्षक से आयोजित डीएवी यूनाइटेड फेस्टिवल में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्य भाषण देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डीएवी संस्थान एनईपी-2020 को एक कुशल तरीके से लागू करने के लिए सबसे उपयुक्त हैं क्योंकि इसके मूल्य नई शिक्षा नीति के मूल विषय जो कि राष्ट्रवाद है, से मेल खाते हैं ।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत में स्टार्ट-अप आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा संस्थानों को साथ लेकर चल रहा है। उन्होंने कहा कि 2015 में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा दिए गए “स्टार्ट-अप इंडिया स्टैंड-अप इंडिया” के आह्वान से मिली प्रेरणा के कारण भारत में स्टार्ट-अप की संख्या 2014 से 2022 के बीच 8 वर्षों में लगभग 300-400 से बढ़कर 90,000 तक पहुंच गई है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डीएवी संस्थान अपने पाठ्यक्रम पर फिर से विचार करके और सभी क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जियोस्पेशियल और स्पेस एप्लिकेशन और ड्रोन क्रांति जैसी उभरते तकनीकी और अभिनव बदलावों की सटीक संगति के साथ भारत में परिवर्तन का माध्यम बन सकते हैं।माननीय मंत्री ने वादा किया कि डीएवी संस्थान मेंटरशिप प्रोग्राम को अपनाएंगे और छात्रों को युवा वैज्ञानिक छात्रवृत्ति योजनाओं और बच्चों को अटल टिंकरिंग लैब्स में अवसरों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर चर्चा करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, नई नीति तब आई जब इसकी सबसे अधिक जरूरत महसूस की जा रही थी क्योंकि भारत बहुत तेजी से विकास की सीढ़ी चढ़ रहा था और पाठ्यक्रमों को दुनिया की नई और उभरती वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए। उन्होंने कहा विश्व का नेतृत्व करने की आकांक्षा के लिए वैश्विक मानदंड, मापदंड और वैश्विक उपलब्धियां होनी चाहिए।
डॉ जितेंद्र सिंह ने पूरे भारत से एकत्रित डीएवी संस्थानों के प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को याद दिलाया कि प्रवेश/निकास के कई विकल्पों का प्रावधान कुछ ऐसा है जिसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए क्योंकि यह अकादमिक लचीलापन छात्रों की वास्तविक शिक्षा और अंतर्निहित योग्यता के आधार पर अलग-अलग समय पर अलग-अलग करियर के अवसरों का लाभ उठाने में सकारात्मक प्रभाव डालेगा। माननीय मंत्री ने यह भी कहा कि इस प्रवेश/निकास विकल्प को भविष्य में शिक्षकों को भी दिया जा सकता है, जिससे उन्हें करियर में लचीलापन और उन्नयन के अवसर मिलते हैं जैसा कि अमेरिका सहित कुछ पश्चिमी देशों में है।सरकारी नौकरियों के लिए बढ़ती मांग का जिक्र करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, एनईपी-2020 के उद्देश्यों में से एक डिग्री को शिक्षा से अलग करना है और कहा कि डिग्री को शिक्षा से जोड़ने से हमारी शिक्षा प्रणाली और समाज पर भी भारी असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि इसका एक नतीजा यह है कि कई राज्यों में बढ़ती संख्या में धरने पर बैठे शिक्षित बेरोजगार दिखते हैं।
डीएवी कॉलेज प्रबंध समिति एवं आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष डॉ. पूनम सूरी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि देश के 23 राज्यों में 948 डीएवी स्कूल, कॉलेज और संस्थान हैं। उन्होंने बताया कि नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में भी डीएवी के 72 संस्थान हैं और उन्होंने दक्षिण भारत में डीएवी संस्थानों की संख्या बढ़ाने का वादा किया।