औरंगाबाद :[देव] आस्था के महाकुंभ में मिट जाती है जाती और धर्म का भेद ,सुप दउरा बनाने से लेकर बेचने तक का कार्य करते है मुश्लिम परिवार

मगध एक्सप्रेस : औरंगाबाद जिले के देव में स्थित सूर्य मंदिर देश ही नहीं विदेशों में भी काफी प्रसिद्ध है। पश्चिमाभिमुख सूर्य मंदिर का महात्म देश भर में फ़ैला हुआ है. चार दिवसीय कार्तिक छठ महापर्व में इस स्थान का पूरे बिहार में अलग ही महत्व है. यहां देश और प्रदेश के कोने-कोने से लोग छठ महापर्व करने के लिए आते हैं.बता दें देव में छठ व्रतियों के लिए सूप और ओडिय़ा बनाने का काम यहां के अनुसूचित जाति के साथ साथ मुस्लिम समुदाय के लोग भी करते हैं.

देव में मिट जाता है धर्म भेद
बता दें कि देव में चार दिवसीय छठ महापर्व की तैयारी शुरू कर दी गई है. इसी बीच देव निवासी मो० कासिम, मो० गुलाम गोष, मो० मुश्ताक अंसारी ने सूप और टोकरी का दुकान सजा लिया है. दुकानदार एमडी मुश्ताक ने बताया कि पिछले 40 वर्षों से यहां सूप और दौरा बेचने का काम करते आ रहे हैं. इसके पूर्व पिता अब्दुल गफूर भी यहां सूप और दौरा बेचा करते थे. मुश्ताक ने बताया कि देव ही ऐसा स्थान है, जहां हिन्दू-मुस्लिम का धर्म भेद ख़त्म हो जाता है. यहां हिंदू और मुस्लिम एक साथ मिलकर एक दूसरे के पर्व में हाथ बंटाते हैं.

70 से 100 रुपए तक है सूप की कीमत
दुकानदार ने बताया कि इस वर्ष 2 लाख रुपए का सूप और दौरा बनाया गया है. उन्होंने बताया कि पूरा परिवार मिलकर सूप और दौरा बनाते हैं. इस दौरान गांव से भी सूप और दौरा को ख़रीदकर देव में बेचते हैं. इस वर्ष सूप की क़ीमत 60- 80 तो वहीं ओडिय़ा की क़ीमत 100- 120 रुपए है जबकि पंखे की क़ीमत 30- 35 रुपए तक है. देव सूर्य मंदिर और चार दिवसीय छठ महापर्व को लेकर इस बात से इसका महत्व समझिए कि इस पर्व में 20 हज़ार से अधिक दूसरे प्रदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां रूम किराए पर लेकर ठहरते हैं और छठ पर्व का अनुष्ठान करते है.

20 लाख छठ व्रती पहुंचते हैं देव
लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत में यहां लाखों की संख्या में व्रतियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. बिहार ही नहीं देश के कोने-कोने से हर साल 20 लाख से अधिक श्रद्धालु यहां दर्शन करने पहुंचते हैं. देव के कार्तिक छठ मेला को बिहार सरकार के द्वारा राजकीय मेला का दर्जा भी प्राप्त है.