औरंगाबाद :[देव]सड़क जर्जर की स्थिति में होने से ग्रामीण जनता है परेशान, जनप्रतिनिधि भी नही देते है ध्यान,सरकारी महकमें पर उंगली उठाना लाजिमी

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मगध एक्सप्रेस :-औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड के देव से सटवट, कंचनपुर,जोधपुर अजब बिगहा,पाठक बिगह, बंधु बिगहा, गंगटी,तेतरिया, एरौरा, भंडारी के अलावे दर्जनों गांव जाने वाली मुख्य सड़क देव गोदाम से खड़िहा गांव के पास लगभग एक किलोमीटर से अधिक तक सड़क काफी जर्जर है। सड़क पर जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे बन चुके हैं। अब बरसात का सीजन होने के कारण इन गड्ढों में पानी भरने से दुर्घटना की आशंका भी बढ़ गया है। सड़क की इस स्थिति से जनता नाराज हैं। सड़कें जर्जर की स्थित में‌ होने से अब ये जनता के लिए परेशानी का सबब बनकर आए दिन दुर्घटना को आमंत्रित करते रहती हैं। स्थिति इतनी भयावह है कि कोई भी यातायात के वहां गांव आना नहीं चाहता है यदि दक्षिणी क्षेत्र गांव के प्रसव पीड़ित महिला को प्रसव दर्द उठ जाए तो मरने के सिवा कोई चारा नहीं है। ऐसे में सरकारी महकमें पर उंगली उठाना लाजिमी है।

मजबूरी में जनता उन बदहाल सड़कों पर जान जोखिम में डाल कर यात्रा करने को मजबूर है। खास बात तो यह है कि इन सड़कों पर विकास का वादा करने वाले जनप्रतिनिधि भी यात्रा करते हैं। पर वे भी पद में आने के बाद अपने वादे भूल जाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि करीब एक किलोमीटर की सड़क बनाने की मांग पीछले कई दो तिन सालों से चल रह है लेकिन अभी तक निर्माण पूरा‌ नही हुआ‌ है। वर्तमान में इस सड़क की हालत यह है कि कई स्थानों पर सड़क है या नहीं, इसका पता ही नहीं चलता। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं। इस मार्ग से दर्जनों यात्री दो पहिया, तीन पहिया और चार पहिया वाहन से यात्रा करते हैं। जहां यात्री यात्रा के पहले ईश्वर को याद करते हैं। वहीं अधिकारी भी सड़क की हालत से भलीभांति परिचित हैं, फिर भी निर्माण कार्य की ओर ध्यान नहीं दें रहे है।

इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों को इस सड़क को बनाने की मांग किया है। पर आज तक न तो सड़क बना और न ही लोगों को राहत मिला। स्थानीय लोगों में खडिहा गाॅव के हिमांशु सिंह, यशवंत सिंह, योगेंद्र सिंह, विजय सिंह ,विकास सिंह, अंकित कुमार, ओमप्रकाश कुमार आदि लोंगो कहा कि सड़क जर्जर और जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे होने से आए दिन चोरी, डकैती, छीनैती, मर्डर इस तरह का घटना होते रहता है। सड़क की उपेक्षा से यह साबित हो जाता है कि उच्च पदों पर बैठे अधिकारी ऐसे मामलों में कितने संवेदनशील है, जर्जर सड़क होने से आने-जाने में काफी परेशानी होता है।

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