औरंगाबाद :गीता जयंती कार्यक्रम का किया गया आयोजन

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संदीप कुमार

मगध एक्सप्रेस :-औरंगाबाद जिले के नवीनगर प्रखंड के गजना धाम परिसर में गीता जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ आगत अतिथियों के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के वांगमय स्वरुप गीता पर पुष्पांजलि अर्पित कर दीप प्रज्वल्लित कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता गजना धाम मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष महंत अवध बिहारी दास ने किया तथा संचालन गजना न्यास समिति के सचिव वरीय अधिवक्ता सिध्देश्वर विधार्थी ने किया। कार्यक्रम में आगत अतिथियों को माला पहनाकर अंग वस्त्र और गीता देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में संयोजक भृगुनाथ सिंह ने सम्मानित अतिथियों के सम्मान में स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते सचिव सिद्देश्वर विद्यार्थी ने बताया कि पूरे जिले में गीता जयंती पखवारे के अंगीभूत कई आयोजन क्रमशः देव, पंचदेव धाम चपरा ,मां सतबहिनी मंदिर अंबा, संस्कृत महाविद्यालय औरंगाबाद और गजना माता मंदिर में यह आयोजन समकालीन स्थितियों में गीता की सार्थकता विषय पर यहां संपन्न हो रहा है‌। वही उन्होने कहा की गीता वैदिक ज्ञान वेद के सिद्धांतो एवं सनातन जीवन शैली के आदर्शों की संयुक्त प्रस्तुति है।उन्होने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने इसके संदेशों के माध्यम से आनंदमय तथा सुखमय जीवन जीने की कला को बताया है। उन्होंने कहा कि जीवन के मूल सिद्धांत समझने गुस्स व उसे व्यवहार में लाने के लिए गीता का अध्ययन जरुरी है। वही लोगों ने कहा कि गीता हिंदू धर्म का एक आधार स्तंभ है। गीता में नैतिक समस्या एवं उसके समाधान का सुंदर वर्णन किया गया है । गीता में निष्काम कर्मयोग का प्रतिपादन हुआ है। निष्काम कर्मयोग के अनुसार बिना फल ध्यान दिए ही कर्म करना चाहिए। वही कार्यक्रम में गीता के निगूढ तत्वों पर विद्वानों ने अपने-अपने विचार रखें ‌।

वक्तव्य की शुरुआत करते हुए ज्योतिर्विद शिवनारायण सिंह ने कहा की गीता सचमुच एक अलौकिक ग्रंथ है जो धार्मिक, जातिगत एवं वर्णगत संकीर्णता से काफी ऊपर है‌।अपनी बातों को रखते हुए डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि गीता प्रतिकूलता में अनुकूलन बनाने का महामंत्र है‌ वस्तुत : यह भीड़ में एकांत का गीत है ‌‌।इसे आचरण में उतरने से जहां व्यक्ति को सांसारिक समस्याओं से सहज समाधान मिल जाता है वहीं आध्यात्मिक दृष्टि से भी गीता परम मोक्षदायिनी ग्रंथ है। कवि राम किशोर सिंह ने पद्यात्मक ढंग से गीता की महता को रेखांकित किया। वहीं समाज सेवी आर एन सिंह, जनेश्वर विकास केन्द्र के अध्यक्ष रामजी सिंह, साहित्य संवाद संयोजक लालदेव प्रसाद, पूर्व मुखिया रामप्रवेश सिंह एवं साहित्य सेवी लालदेव प्रसाद ने गीता को एक सार्वकालिक और सार्वदेशिक ग्रंथ के रूप में रेखांकित किया ।

वही राज कुमार रजक ने गीता के व्यावहारिक पक्षों पर चर्चा की. वहीं श्री उमाशंकर बर्मा ने गीता को वैश्विक ग्रंथ के रूप में समादरित किया। सभी देवताओं ने सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए गीता को परम आवश्यक बताया। इस अवसर पर और जिन विद्वानों ने अपने विचार रखें उनमें पुनपुन महोत्सव के अध्यक्ष रामजन्म सिंह, रमेश सिंह गौतम, डब्लू तिवारी आदि ने भी गीता के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला । इस दौरान पुनपुन महोत्सव सचिव राजेश अग्रवाल, अरविंद पासवान, पूर्व मुखिया अभय कुमार सिंह , रामराज पासवान,दुधेश्वर मेहता, निर्मल सिंह, रामराज मेहता, संतोष सिंह,, शैलेन्द्र सिंह, पुलिस पदाधिकारी सिंहेश्वर सिंह, रामजीत शर्मा, सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे ।

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