औरंगाबाद :दूधिया रौशनी से जगमगा रहा ऐतिहासिक उमगा पर्वत ,नर और नारायण की सेवा से बड़ा कोई सेवा नहीं – शक्ति मिश्रा
मगध एक्सप्रेस :-औरंगाबाद जिला मदनपुर उमगा पर्वत श्रृंखला पर सूर्यमंदिर, मां उमंगेश्वरी मंदिर, गौरी शंकर मंदिर सहित 52 मंदिरों का श्रृंखला है उमगा पर्वत 948 एकड़ में फैली हुई है.पहाड़ पर पौराणिक सूर्य मंदिर, मां उमंगेश्वरी मंदिर, शंकर पार्वती, गणेश की दुर्लभ मूर्तियां विराजमान है।बिहार में मुस्लिम आक्रमणकारियों से जो मंदिर बच पाये है उन में उमगा पहाड़ मंदिरों की श्रृंखला भी एक है ये बिहार की तत्कालीन धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान बताता है।यहां पर तरह तरह के मंदिरों के लिए पत्थर, उनपर नक्काशी और शिलालेख तैयार किये जाते थे जिन्हें संपूर्ण मगध साम्राज्य के कोने-कोने में मंदिर निर्माण के लिए भेजा जाता था उमगा पहाड़ियों में पाषाण शिलालेख हैं जो पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत मूल्यवान हैं। शानदार वैष्णव मंदिर के निर्माण के लिए चौकोर ग्रेनाइट ब्लॉकों का उपयोग किया है, जिसमें भगवान गणेश, भगवान शिव और सूर्य के मुख्य देवता के अलावा कई अन्य देवता हैं यहाँ के राजा को आदिवासी बताया जाता है पर ये मगध के प्राचीन क्षत्रिय थे राजा दुर्दम उसके बाद उनके वंशज अईल ,अईल के वंशज के 13वीं पीढ़ी में राजा भैरवेंद्र देव थे जो १५ सदी आस पास के थे 1500 ई. पूर्व में इस मंदिर का निर्माण कराया गया है।
ऐतिहासिक गौरव को समेटे हुए खड़ा है उमगा पर्वत
मंदिर के शिलालेख से पता चलता है कि पहले यह जगन्नाथ मंदिर था सूर्य वंशीय राजा भैरवेंद्र ने मंदिर के गर्भगृह में बलराम और सुभद्रा की प्रतिमा स्थापित किया था। बाद में यह प्रतिमा समाप्त हो गई।.उन्होंने मंदिरों का पुनरुद्धार कराये व कई नव निर्माण भी हुआ इस क्षेत्र में प्राचीन काल से राजस्थान से श्रद्धालु तीर्थ पर आते थे आज भी कई मंदिरों का अवशेष देखने को मिलता है. उमगा पर्वत पर भगवान सूर्य की अदभूत विशालकाय मंदिर ऐतिहासिकता और साक्ष्य समेटे गौरव गाथा को प्रलक्षित करने के लिए आज भी उत्प्रेरणा स्वरूप खड़ा है। धरातल से सौ फीट की ऊंचाई पर स्थापित यह मंदिर लगभग 90 फीट की लंबा अद्वितीय है। मंदिर के सौंदर्य प्रसाधन स्वरूप प्रकृति ने स्वयं धारण की है।
विकास की बातें सिर्फ मंच से धरातल पर नहीं
औरंगाबाद जिला के मदनपुर प्रखंड के उमगा पहाड़ी पर स्थित भगवान सूर्य का ऐतिहासिक, धार्मिक एवं प्राचीन मंदिर उपेक्षित होने की वजह से नष्ट होने के कगार पर है। मंदिर का समुचित संरक्षण नहीं होने के कारण अस्तित्व खतरे में है। यह मंदिर जिले ही नहीं बल्कि राज्य की धरोहर सूची में शामिल है। जमीन से करीब डेढ़ सौ फीट ऊंचा पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर का दर्शन करने का पर्यटक आते हैं।पहाड़ पर 52 देवी देवताओं का मंदिर था जो संरक्षण के अभाव में नष्ट हो गया। आज उसका केवल अवशेष दिखता है। प्रत्येक वर्ष इस मंदिर को देखने एवं भगवान सूर्य का दर्शन करने तीन से चार लाख श्रद्धालु आते हैं। माघ बसंतपंचमी के दिन यहां विशाल मेला लगता है। मंदिर की महिमा एवं गरिमा को प्रचारित करने के लिए प्रत्येक वर्ष उमगा महोत्सव मनाया जाता है। करीब 10 लाख रुपये खर्च किया जाता है।हालाँकि उमगा पर्वत के विकास को लेकर प्रत्येक वर्ष राजनितिक मंचो से भाषणों की झड़ियां लग जाती है और राजनीति कार्यकर्ता तथा राजनेता तालियों की गड़गड़ाहट सुनकर खुश होकर यहाँ से चले जाते है और पुनः उमगा पर्वत का हाल उसी तरह से रहता है जिस तरह से अपने इतिहास को समेटे हुए खड़ा है।
शक्ति मिश्रा फाउंडेशन से लोगो की बढ़ी आस
औरंगाबाद जिले में आम जनता के हितो में कार्य कर रही शक्ति मिश्रा फाउंडेशन के चेयरमैन शक्ति मिश्रा ने उमगा पर्वत का दौरा किया और वहां दर्शन पूजन कर कार्यकर्ताओ के साथ बैठक की। बैठक में सबसे पहले दो मुद्दे सामने आये जिसमे पहला प्रकाश की व्यवस्था और दूसरा पेयजल की व्यवस्था। शक्ति मिश्रा ने अपने कार्यकर्ताओ से इसकी रुपरेखा तैयार कर तन मन से इस कार्य को करने के लिए प्रेरित किया। कार्यकर्ताओ ने शुद्ध मन से कार्य किया और चंद एलईडी लाइट से सहारे प्रकाश की व्यवस्था वाला उमगा पर्वत आज दूधिया रौशनी से नहा रहा है। शक्ति मिश्रा फाउंडेशन की ओर से दर्जनों बड़े बड़े लाइट की व्यवस्था की गई है जो मुख्य से सड़क से सूर्य मंदिर और सूर्य मंदिर से पहाड़ी मार्ग होते हुए सहस्त्रशिवलिंग ,सिद्ध गणेश और माता उमंगेश्वरी के दरबार सहित महाकाल तक भरपूर प्रकाश की व्यवस्था की गई है। बड़े बड़े एलईडी लाइट लगने से पूरा पर्वत जगमगा उठा और उसकी अलौकिक छटा आज पांच किलोमीटर दूर से ही स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। आसपास के दर्जनों गाँव के ग्रामीण जब सडको के सहारे रात्रि में आसपास से गुजरते है तो दूधिया रौशनी से नहा रहे उमगा पहाड़ की खूबसूरती से वाह वाह कर उठते है। यही नहीं पांच किलोमीटर दूर से भी उमगा पर्वत रात्रि में मिनी वैष्णोदेवी के तर्ज पर दिखाई देता है।
नर और नारायण की सेवा से बड़ा कोई सेवा नहीं – शक्ति मिश्रा
औरंगाबाद जिले के युवा समाजसेवी सह शक्ति मिश्रा फाउंडेशन के चेयरमैन शक्ति मिश्रा ने बताया कि नर सेवा ही नारायण सेवा है। जो लोग जरूरतमंदों की सेवा सहायता करते हैं, वे सच्चे समाजसेवी हैं। अपने लिए तो सभी जीते हैं, जो दूसरों की मदद के लिए आगे आते हैं वे सच्चे मानव होते है। याद रखिए -‘मानवता की सेवा से परमात्मा प्रभावित होते हैं’। जब विभिन्न धर्म, संप्रदाय,जाति के लोग एकसाथ होते हैं तो बड़ा अच्छा लगता है,ठीक ऐसे ही जैसे-झील,पक्षी,पेड़,पहाड़,सूरज सबको एकसाथ देख मन प्रफुल्लित हो जाता है। जब सब लोग मिलकर समाज व देशहित के लिए काम करते हैं तो अवश्य ही वो काम सफल हो जाता है। जैसे-एक चींटी पहाड़ खड़ा कर देती है,ठीक इसी भावना के साथ अगर किसी बड़ी बुराई के खिलाफ काम किया जाता है,तो जीत जरूर ही मिल जाती है। हमारे देश के महापुरुषों ने भी इस बात पर बल दिय है। पुराणों मे भी इसी बात पर ज़ोर दिया गया है कि,बेसहारों की सहायता ही ईश्वर की सच्ची पूजा है,और मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। यानि ‘नर सेवा ही नारायण सेवा’ है।शक्ति मिश्रा ने आगे कहा कि उमगा पर्वत पर अभी पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था की गई है। बरसात की समाप्ति के साथ ही एक बड़ा बोरिंग इस स्थल पर कराया जाएगा और श्रद्धालुओ ,पर्यटकों तथा पहाड़ में रहने वाले सभी प्रकार के जिव जन्तुओ के लिए शुद्ध जल का पर्यापत व्यवस्था किया जाएगा ,गर्मी के दिनों में अक्सर ऐसी सूचनाएं मिलती है कि पहाड़ से जंगली जानवर पहाड़ से बाहर आ जाते है जिससे आसपास के लोगो को परेशानी होती है ,अगर जंगली पशुओ को जंगल में ही पानी की उपलब्धता हो तो आसपास के ग्रामीण सुरक्षित रहेंगे और जीवो का भी कल्याण होगा। शक्ति मिश्रा ने कहा कि ऐसे पुनीत कार्यो में समाज के सभी वर्गों के लोगो को साथ आकर मिल जुल कर कार्य करना चाहिए। शक्ति मिश्रा ने कहा कि समय समय पर शक्ति मिश्रा फाउंडेशन की ओर से लगातार कुछ न कुछ कार्य हमेशा किये जाते रहेंगे।