औरंगाबाद :देव नगर पंचायत में शुरू हुई कमीशन का खेल , भीषण गर्मी में नलजल की टंकी धवस्त ,पढ़े पूरी खबर
मगध एक्सप्रेस :- औरंगाबाद जिले के ऐतिहासिक सूर्य नगरी देव को नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त हो गया। नगर पंचायत के दर्जा प्राप्त होने के बाद यहाँ चुनाव संपन्न हुआ और प्रत्येक वार्ड में वार्ड पार्षद ,उपाध्यक्ष और नगर अध्यक्ष को देव का उत्तरोत्तर विकास की नई जिम्मेवारी जनता ने दी और पूर्ण रूप से देव में विकास का कार्य नगर पंचायत देख रही है। जिला प्रशासन ,पर्यटन विभाग की ओर से देव में विकास को लेकर एक बड़े लेवल पर मास्टर प्लान पर कार्य किया जा रहा है। देव में प्रत्येक वर्ष पहुँचने वाले लाखो श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ें इसको लेकर बिजली ,पेयजल ,प्रकाश ,स्वास्थ्य ,होटल ,पार्क ,सौंदर्यीकरण सहित अन्य मुलभुत सुविधाओं को स्थायी कार्य करने का प्लान तैयार किया गया है।
लेकिन देव नगर पंचायत के गठन के बाद अब देव में जैसे जैसे कार्य होना प्रारम्भ हुआ है वैसे वैसे नगर पंचायत में कमीशन का खेल की चर्चा सरेआम है। हो भी क्यों नहीं ?देव प्रखंड क्षेत्र के देव नगर पंचायत के तीन नंबर वार्ड में दो महीना पूर्व नल जल योजना का कार्य संपन्न हुआ था। जो वार्ड सदस्या रीना देवी के स्वजन से नल जल योजना का कार्य किया गया था। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा कि सही ढंग से कार्य को नहीं किया गया था। इसलिए वह दो महीना में ही टंकी गिरकर क्षतिग्रस्त हो गया और वहां पर बैठे लोग बाल बाल बचे। नल जल का टंकी गिरने का सूचना मिलते ही गांव के सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण जुट गए और शोर मचाने लगे और नल जल को जल्द से जल्द मरम्मत करने की मांग करने लगे।
स्थानीय लोगो का कहना है कि नल जल की टंकी देव में लगभग आधा दर्जन से अधिक वार्ड में लगाया गया है। लोगो का कहना है कि यह जो नल जल की टंकी लगाया गया है इसमें भारी अनियमितता है और यह योजना खासकर देव में कमीशन के खेल में फंस गया है। नल जल की टंकी सिंटेक्स रखने के लिए जो लोहा का टंकी बनाया गया है वो बिलकुल ही पतला है ,पतला इतना की 1000 लीटर दो दूर 500 लीटर की सिंटेक्स का भार भी नहीं ले। कहा जा रहा है कि वार्ड पार्षदों ने 30 प्रतिशत कमीशन लेकर इस योजन को ठीकेदार को सौप दिया ,और ठीकेदार ने ऐसा नल जल की टंकी लगाया है जो कभी भी कही भी उलट जाएगा या ब्लास्ट कर जाएगा। वहीँ नहीं ग्रामीणों का कहना है कि मोटर बोरिंग की गहराई 100 या 110 फिट से भी कम है लेकिन ठीकेदार द्वारा लगभग 150 फिट बताया गया है ,यदि अधिकारी बढ़िया से बोरिंग की जांच कर दें तो बोरिंग घोटाला भी देव में दिखने को मिल सकता है। बरहाल जहाँ जहाँ नल जल की टंकी लगाईं गई है वहां अनियमितता की कहानी साफ़ दिख्रती है ,इस कार्य की जिम्मेवार प्रतिनिधियो और जन प्रतिनिधियों को कमीशन का चश्मा चढ़ा हुआ है जिसके कारण उन्हें अनियमितता नहीं दिखती।