औरंगाबाद :सुहागिन महिलाओं ने करवा चौथ का रखा व्रत, पति के दीर्घायु जीवन की कामना की
संदीप कुमार
मगध एक्सप्रेस :-औरंगाबाद जिले के नवीनगर प्रखंड क्षेत्र में करवा चौथ के मौके पर महिलाओं ने रविवार को सामूहिक रूप से करवाचौथ की कथा सुनी। करवा माता की कथा सुनने के बाद भगवान शिव-पार्वती, करवा माता, गणेश और चंद्रमा की पूजा की। इस दौरान महिलाओं ने सोलह श्रृंगार किया था महिलाओं ने करवा माता से अखंड सौभाग्य का वर मांगा।पारंपरिक धार्मिक तरीके से करवा चौथ का व्रत रखकर अपने पति के दीर्घायु जीवन की कामना की। वहीं, सुख समृद्धि की भी प्रार्थना ईश्वर से किया।महिलाओं पति की लंबी उम्र के लिए दिनभर व्रत रखा। इसके बाद शाम को चांद दिखने पर करवा चौथ पूजा और पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोला।आचार्य अरुण वैध ने बताया कि अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाएं यह व्रत रखती हैं। करवा चौथ माता की पूजा के लिए महिलाएं सुबह से ही अन्न-जल त्याग कर व्रत रखती हैं और पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए त्योहार की तैयारी करती हैं।करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं और अविवाहित लड़कियों के लिए बेहद खास महत्व रखता है।
धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से विवाहित महिलाओं अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है और अविवाहित लड़कियों के जल्द विवाह के योग बनाते हैं। साथ ही पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता आती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पतिव्रता सती सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से बचाए थे। वहीं, एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री ने अपनी सतित्व के बल पर अपने पति की जान बचाई थी। करवा ने मगरमच्छ को सूती साड़ी के धागे से अपने तप के माध्यम से बांध दिया था और अपने पति की जान बचाई थी। पुराणों के अनुसार करवा नाम की एक पतिव्रता धोबिन अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित गांव में रहती थी। उसका पति बूढ़ा और निर्बल था। एक दिन जब वह नदी के किनारे कपड़े धो रहा था तभी अचानक एक मगरमच्छ वहां आया, और धोबी के पैर अपने दांतों में दबाकर यमलोक की ओर ले जाने लगा। वृद्ध पति यह देख घबराया और जब उससे कुछ कहते नहीं बना तो वह करवा..करवा..कहकर अपनी पत्नी को पुकारने लगा।
पति की पुकार सुनकर धोबिन करवा वहां पहुंची, तो मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने ही वाला था। तब करवा ने मगर को कच्चे धागे से बांध दिया और मगरमच्छ को लेकर यमराज के द्वार पहुंची। उसने यमराज से अपने पति की रक्षा करने की गुहार लगाई और साथ ही यह भी कहा की मगरमच्छ को उसके इस कार्य के लिए कठिन से कठिन दंड देने का आग्रह किया और बोली- हे भगवन्! मगरमच्छ ने मेरे पति के पैर पकड़ लिए है। आप मगरमच्छ को इस अपराध के दंड-स्वरूप नरक भेज दें। करवा की पुकार सुन यमराज ने कहा- अभी मगर की आयु शेष है, मैं उसे अभी यमलोक नहीं भेज सकता। इस पर करवा ने कहा- अगर आपने मेरे पति को बचाने में मेरी सहायता नहीं कि तो मैं आपको श्राप दूंगी और नष्ट कर दूँगी।करवा का साहस देख यमराज भी डर गए और मगर को यमपुरी भेज दिया। साथ ही करवा के पति को दीर्घायु होने का वरदान दिया। तब से कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत का प्रचलन में आया। जिसे इस आधुनिक युग में भी महिलाएं अपने पूरी भक्ति भाव के साथ करती है और भगवान से अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।