गया जिले के सभी कंबाइन हार्वेस्टर के मालिकों के साथ जिलाधिकारी ने की बैठक ,जिन हार्वेस्टर मशीन मालिक के पास, अनुमति नहीं रहेगा, उन्हें किसी भी हाल में फसल काटने की अनुमति नहीं दी जाएगी

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धीरज गुप्ता

 मगध एक्सप्रेस :-गया जिला पदाधिकारी डॉक्टर त्यागराजन एसएम के अध्यक्षता में फसल अवशेष प्रबंधन का सही से अनुपालन हो, इसे लेकर जिले के सभी कंबाइन हार्वेस्टर के मालिकों के साथ समाहरणालय सभाकक्ष में बैठक करते हुए कई आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।यह बताया गया कि जिले में कुल 48 कंबाइन हार्वेस्टर मशीन उपलब्ध है। जिला पदाधिकारी ने निर्देश दिया कि सभी कंबाइन हार्वेस्टर मशीन मालिक अपने हार्वेस्टर मशीनों में एसएमएस नामक मशीन को उपयुक्त करते हुए फसल की कटनी करें। इसके साथ भी उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि कृषि विभाग द्वारा निर्धारित मानक के अनुरूप जो भी हार्वेस्टर मशीन हैं जिला कृषि कार्यालय द्वारा पास निर्गत किया जाएगा, जिन हार्वेस्टर मशीन मालिक के पास, पास नहीं रहेगा, उन्हें किसी भी हाल में फसल काटने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने सभी हार्वेस्टर मशीन मालिक से अनुरोध किया कि अपना अपना आवेदन जिला कृषि कार्यालय को उपलब्ध करावे।कुछ हार्वेस्टर मशीन के मालिकों ने बताया कि अन्यत्र जिलों से कुछ हार्वेस्टर मशीन गया जिला में आकर के फसल कटने का कार्य कर रहे हैं।

जानकारी लेने पर यह भी बताया गया कि मानपुर के भोरे पंचायत के खेतों में बाहर दूसरे जिले से आए हार्वेस्टर मशीन द्वारा फसल कटाई की जा रही है। जिला पदाधिकारी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अनुमंडल पदाधिकारी सदर को निर्देश दिया कि वैसे हार्वेस्टर मशीन को जांच करते हुए जप्त करें। साथ ही उन्होंने जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया कि संबंधित जप्त मशीन के विरुद्ध कार्यवाही करें।जिला पदाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिया कि जिला प्रशासन के अनुमति के बगैर कोई भी हार्वेस्टर मशीन फसल की कटाई नहीं करेंगे। इसके साथ ही सभी हार्वेस्टर मशीनों को संचालन हेतु पास अनिवार्य है। जिला प्रशासन की ओर से जिला कृषि पदाधिकारी को पास निर्गत करने के लिए प्राधिकृत किया गया है।

जिला पदाधिकारी ने संबंधित विभागों को दायित्व देते हुए जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया कि कृषि विभाग द्वारा निर्धारित मानक संबंधित कार्बाइन हार्वेस्टर मशीन के सब्सिडरी देने हेतु अलग से जिला कृषि कार्यालय में काउंटर प्रारंभ करें तथा ऑनलाइन प्राप्त आवेदनों को त्वरित गति से निष्पादन करते हुए सब्सिडरी उपलब्ध करवा दें। जिला पदाधिकारी ने जिला कृषि विभाग को दायित्व दिया कि :-

जिला में आत्मा एवं कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित करना। खेतों में फसल अवशेष को जलाने के बदले खेत की सफाई हेतु बेलर मशीन का प्रयोग, फसल के अवशेष को खेतों में जलाने के बदले वर्मी कम्पोस्ट बनाने, मिट्टी में मिलाने, पलवार (मल्चिंग) विधि से खेती आदि में व्यवहार कर मिट्टी को बचाना आदि, हैप्पी सीडर से गेहूं की बुआई का प्रत्यक्षण को प्रोत्साहित करने का दायित्व दिया है।पंचायत स्तर पर आयोजित किसान चौपाल तथा कृषि विभाग के अन्य कार्यक्रमों में फसल अवशेष न जलाने के संबंध में किसानों को जागरूक करना। समय-समय पर समाचार पत्रो में विज्ञापान के माध्यम से किसानों को जागरूक करना है। फसल अवशेष जलाने वाले किसानों के विरुद्ध दण्डात्मक कार्रवाई विशेषकर पंजीकरण अवरुद्ध करना शामिल है।कृषि विज्ञान केंद्र को दायित्व दिया कि:-किसानों को फसल अवशेष के बंडल को तैयार करने हेतु स्ट्रा बेलर उपलब्ध कराना एवं बायोपचार की उपयोगिता से अवगत करना हैमौसम अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत कम्फेड के साथ मिलकर फसल अवशेष को चारा के रुप में उपयोग हेतु दुग्ध समितियों को उपलब्ध कराना शामिल है। जिला सहकारिता पदाधिकारी को दायित्व दिया कि: मुख्यमंत्री हरित कृषि संयंत्र योजना में अनिवार्य रूप से संबंधित एक यंत्र का क्रय करना ये यंत्र है, जीरोटिलेज मशीन, बेलर, स्ट्रारीपर आदि है।पैक्सों एवं प्रखण्ड सहकारिता पदाधिकारी के माध्यम से फसल अवशेष के उपयोग पर किसानों को जागरूक करना शामिल है।

जिला शिक्षा पदाधिकारी को दायित्व दिया कि:-छात्र, छात्राओं के बीच फसल अवशेष नही जलाने से संबंधित वाद-विवाद, चित्रकला आदि का आयोजन करना है। छात्रों से विहित प्रपत्र में शपथ पत्र प्राप्त करना शामिल है। जिला पंचायत राज पदाधिकारी को दायित्व दिया कि:- पंचायत सरकार भवन के कार्यालयों में फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित पोस्टर एवं बैनर आदि से किसानों को जागरुक किया जाना है।पंचायत समिति की बैठक में फसल अवशेष प्रबंधन एक एजेन्डा कार्यावली के रूप में रखना होगा।।त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थानों तथा पंचायत सेवकों के माध्यम से फसल अवशेष के उपयोग पर किसानों को जागरुक करना शामिल है। स्वास्थ्य विभाग को दायित्व दिया की ए०एन०एम० एवं आशा कार्यकत्ताओं के माध्यम से फसल अवशेष को खेतों में जलाने से साँस लेने में तकलीफ, आँखों में जलन, नाक एवं गले की समस्या बढ़ती है। इसका प्रचार- प्रसार करवाये।

उन्होंने जिला पशुपालन पदाधिकारी को दायित्व दिया कि:-जिला गव्य विकास पदाधिकारी एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के साथ मिलकर फसल अवशेष को चारे के रुप में उपयोग करने हेतु प्रोत्साहित करना है पशुपालकों को फसल कटनी के उपरान्त खेतों में अवशेषों तथा खरपतवार को भेड़ तथा बकरी को चराने के लिए जागरुक करना शामिल है।इसके उपरांत उन्होंने ग्रामीण विकास विभाग, जिला वन पदाधिकारी तथा परियोजना निदेशक आत्मा को भी निर्देश दिया है कि अपने अपने स्तर से फसल अवशेष प्रबंधन के जागरूकता हेतु कार्य करें।

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