औरंगाबाद :देव में कड़ाके की ठंढ और पहाड़ियों के नीचे गरीबी में जीवन बसर कर रहे लगभग 500 परिवारों को मिली मदद,शक्ति मिश्रा फाउंडेशन ने कंबल वितरण कर ग्रामीणों के चेहरे पर लाई मुस्कान
Magadh Express:-कड़ाके की ठंढ और पहाड़ियों के नीचे गरीबी में जीवन बसर कर रहे लगभग 500 परिवारों को मदद कर आज समाजसेवी शक्ति मिश्रा ने सभी के चेहरे पर मुस्कान ला दी है ।आज औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड के विष्णुपुर गांव स्थित महादलित टोला में शक्ति मिश्रा फाउंडेशन, गणेश मंदिर कुरका के तत्वाधान समाजसेवी शक्ति मिश्रा ने आज कड़ाके की ठंढ में गरीबों, असहाय के बीच कंबल वितरण किया । इस दौरान लगभग 500 परिवारों के बीच कंबल वितरण किया गया ।
इस दौरान समाजसेवी शक्ति मिश्रा के साथ सौरभ कुमार सिंह,उदय कुमार सिंह,मुन्ना ठाकुर,कुंदन कुमार सिंह,रमेश कुमार मंडल ,राकेश कुमार सिंह ,राकेश कुमार,सहित अन्य लोग आज घर घर पहुंचकर 500 घरों में कंबल का वितरण किया ।
इस बाबत जानकारी देते हुए समाजसेवी शक्ति मिश्रा ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह है कि गरीब तबके के जो लोग है जो ठंढ में सिकुड़ रहे है ऐसे परिवार को हमारे द्वारा कंबल वितरण किया गया है ।एक प्रयास है समाज की सेवा करने के लिए ,समाज से प्राप्त कर समाज को ही देना है ।इंसान जीवन में धन दौलत तो बहुत कमाता है जो उसके साथ नही जाता ऐसे में समाज से लेकर समाज को ही देना मुख्य उद्देश्य है ।
समाजसेवी शक्ति मिश्रा ने आगे कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने एक बार रहीम को पत्र लिखकर उन्हें पूछा कि वे दान करते समय अपनी आँखें नीची क्यों कर लेते हैं?
उन्होंने लिखा – ऐसी देनी देन जू – कित सीखे हो सैन। ज्यों-ज्यों कर ऊँचे करो, त्यों-त्यों नीचे नैन॥
अर्थात हे मित्र – तुम ऐसे दान क्यों देते हो? ऐसा तुमने कहाँ से सीखा? (मैंने सुना है) कि जैसे जैसे तुम अपने हाथ दान करने के लिये उठाते हो, वैसे वैसे अपनी आँखें नीची कर लेते हो।
रहीम ने उत्तर में जो लिखा वो नम्रता और बुद्धिमत्ता से परिपूर्ण था।
देनहार कोई और है, देवत है दिन रैन।
लोग भरम हम पर करें, याते नीचे नैन॥
अर्थात – देने वाला तो कोई और – यानी ईश्वर है – जो दिन रात दे रहे हैं। लेकिन लोग समझते हैं कि मैं दे रहा हूँ, इसलिये मेरी आँखें अनायास ही शर्म से झुक जाती हैं।