औरंगाबाद : मुखिया ने सांसद से पूछा मोदी जी तो 2024 में वापस आएंगे ये उनकी गारंटी ,लेकिन आप आएंगे इसकी क्या गारंटी है ?,सांसद ने ऐसा दिया जवाब कि सुनकर हैरान रह गए लोग ,सांसद ने विरोधियो को खूब धोया ,पढ़ें पूरी खबर

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मगध एक्सप्रेस :- औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड के बेढ़नी पंचायत के चांदपुर खेल मैदान में आयोजित भारत संकल्प यात्रा के दौरान वहां उपस्थित ग्रामीण जनता को केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओ की जानकारी अधिकारियों और भाजपा के कार्यकर्ताओ ने दी। कार्यक्रम के दौरान बेढ़नी पंचायत के मुखिया मनोज सिंह ने सांसद पर बातों प्रहार करते हुए कहा कि मोदी जी का गारंटी का रथ यहाँ पहुंचा है और योजनाओ की जानकारी दी जा रही है। लेकिन मोदी जी तो 2024 में वापस आएंगे ये उनकी गारंटी है लेकिन आप आएंगे इसकी क्या गारंटी है। मुखिया की बातें समाप्त होने के बाद औरंगाबाद सांसद सुशिल कुमार सिंह ने जनता को सम्बोधित किया और पहले केंद्र प्रायोजित एक एक योजनाओ के बारे में ग्रामीणों की जानकारी दी।

इसके बाद सम्बोधित करते हुए सांसद सुशिल कुमार सिंह ने कहा कि मुझसे सवाल किया गया कि मेरी क्या गारंटी है। बताता हूँ मेरी क्या गारंटी है। मेरी गारंटी ईमानदारी के साथ ,कमीशनखोरी नहीं ,पूरी ईमानदारी और सम्मान के साथ सेवा की गारंटी है। पूरी ईमानदारी से लिख लीजिये अपने दिमाग में और कागज़ पर। हम तो मोदी के सिपाही है ,मोदी की गारंटी मेरी गारंटी है और मेरी गारंटी मोदी की गारंटी है..लेकिन बावजूद इसके जब सवाल किया गया है तो मै जवाब देने के लिए तैयार हूँ,मेरा मनोबल कहीं से गिरा हुआ नहीं है ,मैंने कभी किसी को चिट नहीं किया है ,कभी किसी को ठगा नहीं है ,कभी किसी के साथ धोखेबाजी नहीं किया है ,इसलिए जनता का आशीर्वाद मुझे प्राप्त होता है। सांसद ने कहा कि सारी परिस्थितियां अनुकूल रहती तो दिखा देता इसी कार्यकाल में कि मेरी गारंटी क्या है। मै हवा में बात नहीं करता ,नाही मै जनता को मुर्ख बनाता हूँ ,और बहती गंगा में हाँथ धोने वाला भी मै नहीं हूँ ,मै अपने संकल्पो के आधार पर ,प्रयासों से नई राह बनाता हूँ।

सांसद ने कहा कि किस बात पर इशारा किया गया है मै जानता हूँ , उतर कोयल नहर की बात की गई है ,यही चाहते है कि इनके पास कोई उतर नहीं होगा और जनता के सामने जलील होना पड़ेगा ,लेकिन पुरे चौड़े मनोबल के साथ मै कहना चाहता हूँ कि यह परियोजना मर चुकी थी ,यह परियोजना धरती के अन्दर गाड़ दी गई थी ,सुशिल सिंह को जब आपलोगो ने दूसरी बार आशीर्वाद दिया 2009 में तो इसको हमने कब्र से बाहर निकाला ,और जब कब्र से बाहर निकाला। 2009 से 2014 तक पांच वर्ष मनमोहन सिंह की सरकार थी ,और मै यह भी पूछना चाहता हूँ सवाल करने वालो से कि और किसी से उतर कोयल नहर की बात क्यों नहीं पूछी जाती ,और किसी से अपेक्षा क्यों नहीं किया जाता। बिच में बोलते हुए मुखिया ने कहा कि चार बार से आपको ही भेज रहे है तो और किस से पूछे ,जिसपर सांसद ने कहा कि भेजने वाला भेज रहा है ,पूछने वाला पूछ रहा है और करने वाला कर रहा है,हम बता रहे है जनता को दे रहे है हिसाब। सवाल किया है तो जवाब सुनने का धैर्य भी होना चाहिए।

सांसद ने कहा कि मेरे पास लिखित पत्र है 2013 के तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह का पत्र ,कि ये योजना नहीं हो सकती। उसके बाद जब 2014 में फिर से आपलोगो ने मुझे चुना तब सत्ता बदल गई और मोदी जी प्रधानमंत्री बने। पहले जब मै मोदी जी से मिला तो मुझे पांच मिनट का समय दिया गया ,जब मैंने विषय को रखा तो उन्होंने आधा घंटा समय दिया और पूरी बात सुनी ,सुनने के बाद प्रधानमंत्री जी ने कहा कि अभी तक लोगो ने देश की सत्ता को भोगा है ,भोगने का काम किया है। मोदी जी ने त्वरित कार्यवाई की और अधिकारियों को आदेश दिया ,जिसके बाद उनके विशेष सचिव की अध्यक्षता में चार चार बैठकें हुई ,और फिर हमने सांसदों का एक समूह बनाया ,जिसमे मै ,गया के तत्कालीन सांसद हरी मांझी ,जहानाबाद के तत्कालीन सांसद अरुण बाबू ,पलामू के सांसद बीडी राम ,चतरा के सांसद सुनील सिंह जी ,छह सांसदों का एक जत्था बना और हमलोग जहाँ भी जाते थे साथ जाते थे ताकि दबाव बने और काम हो। वन पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से कुटकु डैम में फाटक लगने पर रोक था ,जिसके बाद वन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेड़कर कुटकु डैम आये और उन्होंने प्रधानमंत्री जी को रिपोर्ट दिया तब जाकर वैन पर्यावरण मंत्रालय का रोक हटाया गया। और अंततः 2017 में केंद्र सरकार ने इस परियोजना के अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए 1622 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई। सांसद ने कहा कि सिंचाई राज्य का विषय है `,ये सवाल तो एमेले से होना चाहिए था ,ये सवाल तो राज्य सरकार से होना चाहिए ,था लेकिन कोई सवाल किसी से नहीं करता। सवाल होता है किससे सुशिल सिंह से ,लेकिन हम तैयार है ,हमारे पास जवाब है ,हम तो धन्यवाद देना चाहते है कि अगर यह सवाल नहीं होता तो इतना विस्तार से हम लोगो को कैसे बताते। बताने का अवसर दिया इसके लिए भी धन्यवाद।

सांसद ने आगे कहा कि ऐतिहासिक काम हुआ है ,समय लग रहा है ,लेकिन जब रास्ता बन जाता है तो गाडी चलने लगती है। रास्ता बन चूका है ,रास्ता बन रहा है ,और गाडी चलेगी। सांसद ने कहा कि उस राशि से जब काम शरू हुआ तो इसके डूब क्षेत्र 14 गाँव आ रहे है ,वहां के किसानो ने आपत्ति कर दी। झारखंड में झामुमो की सरकार है ,किसानो ने कहा कि मुआवजा किस को मिला यह हम नहीं जानते है हमारे दादा को या पिताजी को दिया गया ,हम नहीं जानते है फिर से मुआवजा दिया तो यहाँ से हटेंगे ,नहीं तो हम घर नहीं छोड़ेंगे ,नहीं हटेंगे यहाँ से। एक ऐतिहासिक काम मोदी जैसा दृढ़ इच्छा वाला व्यक्ति ने किया और पलामू ,गया और औरंगाबाद के लाखो किसानो के हित में एक ही जमीन को दुबारा मुआवजा देने के लिए तथा लागत बढ़ जाने के कारण अन्य कार्यो के लिए पुनः 2436 करोड़ की स्वीकृति दी। यदि इच्छाशक्ति नहीं होती ,संकल्प नहीं होता ,इरादा नहीं होता तो क्यों मोदी सरकार 4058 करोड़ रुपया उतर कोयल नहर के लिए स्वीकृत करती ,उसमे भी लगभग 1000 करोड़ रुपया दूसरी बार मुआवजा देने के लिए है। झारखंड सरकार को किसानो की सूचि देनी है ,सूचि देने के बाद भारत सरकार झारखंड सरकार को पैसा देगी ,चुकी जमीन का मालिक राज्य सरकार होती है ,भुगतान झारखंड की सरकार करेगी और यह भी जिम्मेवारी झारखंड की सरकार की है पैसा किसानो को देने बाद ग्रामीणों को विस्थापित करना है, इसलिए क्योकि इससे कानून और व्यवस्था का मामला भी जुड़ा हुआ है। मोदी सरकार ने अपनी तरफ से कोई कोर कसर इस कार्य में नहीं छोड़ा है ,जो नहीं करना चाहिए था वो भी ऐतिहासिक कार्य भारत सरकार ने किया है। सांसद ने आगे कहा कि अभी की परिस्थिति यही है कि जितना जल्दी झारखंड की सरकार किसानो को दुबारा मुआवजा दे ,दिला कर उनको डूब क्षेत्र से हटा देगी। सांसद ने कहा कुटकु डैम का गेट बनकर तैयार है गेट को केवल लगना है अगर किसी सवाल करने वाले को देखना है तो कोटा चला जाय ,भाड़ा हम दे देंगे कोटा चला जाय और जाकर देख ले की गेट बनकर तैयार है या नहीं।

सांसद ने कहा कि आपलोग इसी प्रखंड के वासी है साढ़े छह करोड़ रुपया खर्च करके जगन्नाथ बांध बनने के बाद साढ़े छह डिसमिल जमीन की सिंचाई नहीं हो रही थी ,उसकी लड़ाई किसने लड़ी ,फिर से पाइन का निर्माण किसने कराया ,उसमे जो विवाद था तेतरिया और गाँव के लोगो के बिच उसका समाधान किसने कराया और अब पानी जब आ रहा है और सिंचाई हो रही है यह किसकी गारंटी से हो रहा है। हम यह सवाल जनता से पूछना चाहते थे। चतुर्भुज पासवान जो बूढ़ा बूढी संघर्ष समिति के अध्यक्ष थे,बूढ़ा बूढी बाँध का निर्माण सरकार के धन से नहीं हुआ ,सरकार के पैसे से नहीं हुआ था पहली बैठक बालूगंज में किसानो के साथ मैंने की थी जिसमे स्थानीय विधायक ,मुखिया और किसान ,खेतिहर मजदुर भी थे। जिसको जितना बना उतना आर्थिक सहयोग ,चंदा इत्यादि दिया हमने भी एक लाख एक हजार रुपया पहली क़िस्त दिया था ,उसके बाद पोकलेन मशीन मांगी गई तो पोकलेन भेजा और व्यवस्था भी दिया। जनता के पैसे से ,जनता के सहयोग से बूढ़ा बूढी बाँध का निर्माण किया गया। लेकिन जब बाँध हुआ ,उसके बाद बाँध के साथ साथ पाइन का भी निर्माण कर दिया तब राज्य सरकार ने साढ़े तीन करोड़ की पाइन सफाई की योजना लाइ ,टेंडर हुआ ,ठिका में सुशिल सिंह का नाम नहीं था ,सुशिल सिंह पइन सफाई का ठिका नहीं किये थे ,और पाइन पहले से ही साफ़ था पाइन तो ऐसा साफ़ था कि जब पानी आया तो पानी से मट्टी इतना बहा कि जितना चौड़ा किसानो ने पाइन खोदा था उसका तीन गुना चौड़ा और माटी बहकर हो गया।लेकिन साढ़े तीन करोड़ रुपया का टेंडर हुआ पाइन सफाई का सुशिल सिंह का ठिका नहीं था ,साढ़े तीन करोड़ करोड़ का लूट हुआ ,ये सरकार बताएगी या विभाग बताएगा ,अगर सुशिल सिंह का ठिका रहता और सुशिल सिंह पइन में लूट लिया होता तो सुशिल सिंह जवाब देता ,सुशिल सिंह की गारंटी होती ,और जब सुशिल सिंह नहीं है तो अब विभाग जवाब देगा। जिसके बाद माहौल में गर्माहट आ गई और सांसद ने अपनी बात को पूरी कर समाप्त किया।

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